उद्यमी के उद्यम से तैयार प्रोडक्ट की मार्केटिंग, एक जटिल समस्या
LUCKNOW. बेरोजगारों को उद्यमिता के मार्गदर्शन के लिये समाधान-फाउन्डेशन के सचिव अरूणेन्द्र कु. श्रीवास्तव ने "स्वरोजगार-मार्गदर्शिका" का संकलन किया है। इस पुस्तिका के प्रकाशन से पूर्व सोमवार शाम को फाउन्डेशन के कोर कमेटी की समीक्षा गोष्ठी का आयोजन समाधान-उद्यमिता के तत्वावधान में किया गया । गोष्ठी मे बतौर मुख्य अतिथि केनरा बैंक, लखनऊ के मण्डल प्रबन्धक श्री अमरजीत सिंह शामिल हुए । गोष्ठी में केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आफ इंडिया जैसे प्रमुख बैंको से सेवानिवृत्त मुख्य प्रबन्धक, वरिष्ठ प्रबन्धकों ने हिस्सा लिया ।
संगठन के अध्यक्ष श्री यतीन्द्र गुप्ता ने अपने स्वागत संबोधन में मुख्य अतिथि तथा अन्य उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया और संगठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। संगठन के पदाधिकारियों के अतिरिक्त बैठक में प्रमुख रूप से सर्व श्री वेद प्रकाश दूबे,पुरुषोत्तम पालीवाल, राजेश श्रीवास्तव भी उपस्थित थे ।
बेरोजगारी चिन्तनीय विषय है
अरूणेन्द्र कु. श्रीवास्तव ने कहा कि 2016 में बैंकिंग का एग्जाम दे रहे एक युवा से मैंने कुछ सच्चाई जाननी चाही जो सुनकर मैं अन्दर से बड़ा विचलित हुआ, उस लड़के ने बताया कि लगभग 2000 वैकेन्सी के लिए लगभग 23लाख लड़के एग्जाम में शामिल हुए। यह सत्य जानने के पश्चात् मैंने इस विषय पर विस्तार से अध्यन किया। यह एक चिन्तनीय विषय है।
भारत बेरोजगारों का देश बना
उन्होने कहा कि आज जब हम रोजगार का विश्लेषण करते हैं तो हम पाते हैं कि परिस्थितियां अत्यंत जटिल होती जा रहीं हैं, ऐसे मे रोजगार के सच को समझना अत्यंत आवश्यक है ! अगर हम श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के आकड़ों को देखें तो भारत दुनिया के सबसे ज्यादा बेरोजगारों का देश बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की 11% आबादी लगभग 12 करोड़ शिक्षित व अशिक्षित युवा बेरोजगार हैं । कालेजों और विश्वविद्यलयों से लगभग 50 लाख इस बेरोजगारी की कतार मे प्रत्येक वर्ष शामिल भी हो रहे हैं । भारत में कुल सरकारी और गैर सरकारी नौकरियां लगभग 3 करोड़ है, ऐसे में सरकार चाह कर भी सभी बेरोजगारों को नौकरी नहीं दे सकती । मुश्किल से प्रति वर्ष 1.5 - 2% युवाओं को ही रोजगार मिल पाता है; इसमें प्राइवेट सेक्टर भी शामिल है I आखिर 98% युवा कहाँ जाएँ यह एक बड़ा प्रश्न है। स्थिति यह है कि चतुर्थ श्रेणी के चपरासी पदों के लिये लाखों आवेदन आते हैं; जिनमें अधिकांश उच्च शिक्षा के आवेदक होते हैं। क्या हमारी शिक्षा का यही महत्व है ? ऐसे में विकल्प तो तलाशना ही होगा I
स्वरोजगार ही एक मात्र विकल्प
अरूणेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि स्वरोजगार ही एक मात्र विकल्प है , जो उद्यमिता मात्र से ही संभव हो सकता है I युवाओं को इस दिशा में जागरूक होना ही होगा और उन्हें अपने हुनर को निखारना होगा ! मैंने इस पुस्तक को 7 अध्यायों में विभाजित कर महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों जैसे जागरूकता एवं अभिप्रेरणा,उद्यम एवं उसके प्रकार, कृषि उद्योग,प्रशिक्षण, प्रोजेक्ट एवं औप्चार्क्तायें, बजट तथा वित्तीयव्यवस्थाएं , MSME की महत्वपूर्ण योजनाएं इत्यादि I
प्रोडक्ट के मार्केटिंग की समस्याएं अत्यंत जटिल
मुख्य अतिथि अमरजीत सिंह ने पुस्तक के संकलन को एक बेहतर प्रयास बताते हुए आगे कहा कि हम लोग आये दिन उद्यमियों के बीच बैठकें करते रहते हैं जिनमे उनकी समस्याओं पर विशेष चर्चार्यें होती हैं जो बैंक स्तर पर हम मदद कर सकते हैं, करते हैं किन्तु उनके प्रोडक्ट के मार्केटिंग की समस्याएं अत्यंत जटिल हैं जहाँ हम लोग पूरी तरह मदद नहीं कर पाते ! हालाँकि सरकार द्वारा प्रवर्तित मेलों में स्टाल लेकर हम उन्हें मार्केटिंग हेतु प्लेटफार्म देने का प्रयास तो करते हैं पर यह कोई परमानेंट समाधान नहीं है I एक उदहारण का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि जेल में महिला कैदियों से कुछ संस्थाएं स्वरोजगार के निमित्त कुछ घरेलु प्रयोग के उत्पाद बनवा रही हैं पर उनके सामने उन उत्पादों की बिक्री का एक बड़ा प्रश्न है क्यों कि उन्हें किसी बड़े ब्रांड का बैनर नहीं प्राप्त है ! श्री सिंह ने कहा कि इस दिशा में आप लोग कुछ कीजिएI
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